डाँट मे भी होना चाहिए आपका प्यार!

Mumpa

डाँट मे भी होना चाहिए आपका प्यार!

एक बच्चे की नज़र से देखेंगे, तो आपका गुस्सैल चहेरा आपको रक्षसीय दिखाई पड़ेगा! कभी जाने अंजाने मे कहीं आप इस दैत्य का रूप तो धारण नही कर लेते?

माँ बाप बनना और उससे जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ निभाना, बच्चों को संभालना, कोई बच्चों का खेल नही है| एस सफ़र मे ऐसे कई मौकें आएँगे जहाँ आप आपना धैर्या खो देंगे, मगर एक बात का धान रखें कि आप उनको डिसिप्लिन करने मे एक दैत्य का रूप ना धारण कर ले!

बच्चे माँ-बाप का व्यवहार, उनका बॉडी-लॅंग्वेज का अनुसरण करते है, उनसे बहुत कुछ सीखते हैं| हम उनके मानसिक प्रवृत्ति और विकास का अहम अंग हैं|

बहुत सी ऐसे बातें है जो हम रोज़-मर्रा बिना ज़्यादा सोचे बच्चों से कह देते हैं जिनका उनके उपर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है| जैसे की

– उनके हमारी बात ना मानने पर चिल्ला कर डाँट देना

– उन्हे काल्पनिक चीज़ों से डराना (खा लो वरना फलाना बूढ़ा आ जाएगा!)

– उनकी निंदा करना दूसरे बच्चों के साथ उनकी तुलना करना

यह सारी बातें एक बच्चे की मानसिकता और पर्सनॅलिटी को प्रभावित करती हैं|

ऐसा तो हो नही सकता की माँ-बाप आपने बच्चों को डाँट ना लगाए, मगर जब भी लगाएँ, ध्यान रखें की आपकी डाँट में आपका प्यार हमेशा शामिल हो| अपनी डाँट को दुत्कार में ना बदलने दें| आपकी कही हुई हर बात आपके बच्चो को आजीवन याद रहेगी, एसलिए उनके साथ कटु वचन ना बोलें|

एस बात को ना भूलें कि, जो बदलाव आप अपने बच्चे मे प्यार से ला सकते है, वो कभी भी डाँट से नहीं आ सकता| माँ-बाप का सबसे ज़रूरी फ़र्ज़ बच्चो को प्यार देना और प्यार करना सिखाना होता है|

वो बच्चे जो आपने माता पिता से डारते हैं, उन्हे बड़े होकर दूसरों पर भरोसा करने में मुश्किल होती| वो अपनी भावनाओं को अपने भीतर क़ैद रखते हैं और विस्फोटक तरीके से उसे व्यक्त करते हैं|

अपने बच्चे का निंदक ना बनें, उनकी छोटी-बड़ी कामयाबी को सारहायें, उन्हे कम डाँट लगायें, समझाएं ज़्यादा, और अपने मम्ता भरे चहेरे पे दानवता की परछाई ना पड़ने दें|

अपने बच्चे को एक सशक्त एनसान बनने मे उसके हमराही बनें, याद रखें आपकी डाँट में भी आपका प्यार झलकना चाहिए!


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