हर माता– पिता के लिए वह पल बहुत ही ज़्यादा खुशी का होता है – जब बच्चा अपना पहला नीवालाख़ाता है |
मैं स्तनपान के पूरे पक्ष मे थी, कम से कम तब तक जब तक शिशु के साल भर की उम्र का ना हो जाए | हम उसे बाहरी भोजन खिलाना चाहते थे लेकिन हमने बच्चे के इशारे का इंतेज़ार किया और उसकीएकटक और लालच भारी निगाहो ने यह साबित कर दिया की अब वक़्त हो चुका था|
उत्साह से भरपूर मैने अपने शिशु चिकित्सक से चर्चा करी की पहला भोजन क्या हो सकता है और मैं पूरीतरह से तैयार थी विभिन्न प्रकार के प्रयोग करने को| मैं इस बात से बेहद अंजान थी की बाकी पूरीदुनिया सुझाव के साथ तैयार थी | अपने निश्चय पर अडिग, मैने चिकित्सक के बताए अनुसार ख़ान पानकी तैयारी करी |
यह तर्क सही था की शुरुवत मसले हुए केले आदि से करे – यह स्वादिष्ट और नर्म होता है और बिना दाँतवाले बच्चो के लिए उपयुक्त भी| लेकिन एक सुझाव काफ़ी हद तक सही रहा की खाने को कभी पिसे नही, केवल चम्मच से मसल दे वरना बच्चा कभी चबाना नही सिख पाएगा | छोटे छोटे नीवालो के साथ भीशुरुवत मे बच्चे के गले मे नीवाला अटक गया था | वह अभी भी खाना सिख रहा था और हम दोनो ने हीअपने प्राकृतिक तरीके से प्रतिक्रिया करी– मैं डर गयी और वह जो निगल नही पाया थूक दिया, वो भीमेरी मदद के बिना| चाहे वह कितना भी खाए या ना खाए, इसका असर उसके सदाबहार पसंदीदा भोजनस्तनपान पर नही पड़ा और वह हमेशा उसकी माँग करता और मैं भी बेझिझक उसे दूध पिलाती|
जल्द ही उसका खाने के प्रति उत्साह ख़तम हो गया और उसकी चाह के बिना उसे खाना खिलाना कोईविकल्प नही था| वक़्त के साथ ही उसे खाने को अपने आप पकड़ने का शौक आया | मैने उसे खाने कोअधपके गाजर और फल छिल कर दिए और उसका खाने के लिए प्यार फिरसे लौट आया और हमे उसकेदांतो की खुजली दूर करने को एक स्वस्थ खिलोना मिल गया | उसके मसूड़े, उसके नये दांतो जीतने तेज़थे और आसानी से इनको चबा पाते थे| चम्मच से ना खिलाने पर ज़ोर कई लोगो ने दिया और सहमतिभी जताई की वह एक स्वस्थ ख़ान पं वाला बालक बनेगा मोटापे जैसी परेशानियो से परे|
वह पूरी तरह से गंदगी करता, बनावट का पता चीज़ को चीर कर,फेक कर, ज़मीन पर पटक कर मसलकर और उसके इस पूरे खेल के बीच बीच मे कुछ दंश खा भी लेता था | अंत में उसने खाना खाने का लुफ्तलेना शुरू कर दिया था और उसे खाते वक़्त खेलते देख मुझे भी खुशी मिलती है|