हर सुबह मेरे और आरव (मेरा बेटा ) के बिच दूध को लेकर संघर्ष सा रहता है | मुझे उसे दूध पूरा पिने के लिए या उसके दूध न पिने के बहाने बनाने पर लालच देना पड़ता है |
जन्म के बाद से ही दूध हमारे बच्चे के आहार का एक एहम हिस्सा रहा है | बच्चे का पहला भोजन माँ का दूध फैटी एसिड , लैक्तोज़ , एमिनो एसिड, विटामिन, मिनरल और अन्य ज़रूरी पोषक तत्वों से भरपूर होता है और नवजात शिशु के लिए उपयुक्त है |
जब बच्चे नुस्खे की तरफ बदलते है तो कई बार यह बदलाव बच्चो के लिए शांतिपूर्ण नहीं होता
(जैसा मुझे याद है, आरव अक्सर दूध पिने से मुकर जाता था), यह बदलाव उनके शारीर की ज़रूरतों की पूर्ति करता है | दूध एक बेहतरीन साधन है कैल्शियम और प्रोटीन का – वो दो बेहद ज़रूरी पोषक तत्त्व बच्चे के विकास के लिए | यह विटामिन डी से भी भरपूर होता है जो की एक और ज़रूरी पोषण है | अगर बच्चा दूध असहिष्णु नहीं है तो दूध को उसके आहार से हटाने का कोई तर्क नहीं है |
मगर कितना दूध शारीर के लिए काफी है? मेरे हिसाब से दो गिलास दूध भारतीय पालन पोषण के हिसाब से बिलकुल सही है | एक गिलास दूध सुबह और एक शाम को या रात को सोने से पहले , जैसे भी बच्चा पसंद करे | हल्का गर्म दूध पेट को भरा भरा महसूस करता है और बच्चे की रात्रि की नींद के लिए सहायक है |
फुल क्रीम , टोंड या स्किम्ड मिल्क? मुझे बड़ी परेशानी हुई थी यह चुनने में की कोनसा दूध बेहतर रहेगा या मेरे बच्चे के लिए सही रहेगा | मेरे बच्चे के चिकित्सक के अनुसार 2 साल की आयु तक बच्चे को फुल क्रीम या पूर्ण दूध दें ताकि उसका मानसिक विकास पूर्ण तरीके से हो सके | बाद में भले ही टोंड दूध को चुन ले और साथ में अन्य खाद्य पदार्थ जिनमे सामान्य फैट और कार्बोहाइड्रेट्स हो | जबतक बच्चे को वजन सम्बन्धी समस्या न हो , उन्हें स्किम्ड दूध न दें |
हर बच्चा यह ज़रूर कहता है की उसे दूध बिलकुल पसंद नहीं | पर हमें इसके फायदे पता है , तो मम्मी अपने धर्य को बढ़ा लें |
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